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“ग्रेटर नॉएडा, उत्तर प्रदेश में बही साहित्य की गंगा”

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शिक्षा, साहित्य एवं पारम्परिक भारतीय मूल्यों को समर्पित संस्था ‘हिंदी लेखक संघ तथा अद्विक प्रकाशन के संयुक्त तत्वाधान में ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र’ के ग्रेटर नॉएडा में दिनांक 11 मई 2025 को “पुस्तक विमोचन एवं साहित्य समागम” का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य रूप से “लघुकथा-संगोष्ठी एवं काव्य-संध्या” का समागम हुआ। कार्यक्रम के आयोजक वरिष्ठ कथाकार श्री संदीप तोमर तथा श्रीमती सीमा सिंह थे।
यह विशेष साहित्य समागम ग्रेटर नॉएडा रॉयल नेस्ट सोसाइटी में संपन्न हुआ। आयोजन की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार बलराम अग्रवाल ने की, मुख्य अतिथि की भूमिका में थे- लघु-फिल्म निर्माता श्री किशोर श्रीवास्तव जी। डॉ स्वाति चौधरी की गरिमामयी उपस्थिति कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रही। डॉ स्वाति चौधरी और सुभाष नीरव के विशिष्ट अतिथित्व में आयोजित इस कार्यक्रम का कुशल मंच-संचालन युवा लेखिका निशा भास्कर व कथाकार सन्दीप तोमर द्वारा किया गया।
यह आयोजन दो चरणों में सम्पन्न हुआ। सर्वप्रथम आयोजकों द्वारा मंच पर विराजमान विभूतियों को माला पहनाकर स्वागत किया गया, तदुपरांत प्रथम चरण में अद्विक प्रकाशन से प्रकाशित सन्दीप तोमर के कहानी संग्रह “प्रेम गणित और अन्य कहानियाँ” का लोकार्पण कार्यक्रम हुआ, जिसमें अद्विक प्रकाशन के निदेशक श्री अशोक गुप्ता की विशिष्ट भूमिका रही। पुस्तक के लोकार्पण के पश्चात डॉ स्वाति चौधरी ने प्रेम गणित… पुस्तक की कहानियों पर चर्चा करते हुए बताया कि पुस्तक में समाहित कुल १९ कहानियों को प्रेम के विभिन्न रूपों के इर्द-गिर्द बुना गया है, उन्होंने अपने वक्तव्य में स्पस्ट किया कि ये कहानियाँ प्रेम के हर दृष्टिकोण को इंगित करती हैं, साथ ही कथाकार सन्दीप इन कहानियों के माध्यम से साहित्य को नए मुहावरों से भी समृद्ध करते हैं, इन कहानियों से सन्दीप की भाषाई स्पष्टता, कथानक चयन के साथ-साथ कहानी लेखन यात्रा भी दृष्टिगत होती है, वे जानते हैं कि भोगे गए यथार्थ को कब, कहाँ, कितना पाठक के सामने प्रस्तुत करना है और कितना भविष्य के लेखन के लिए संजोकर रखना है। डॉ स्वाति ने संग्रह की कहानियों पर चर्चा करते हुए “ताई” कहानी का विशेष जिक्र करते हुए अपने वक्तव्य में कहा कि यह कहानी अपने कथानक, कहानी की बुनावट और कहानी के मुख्य पात्र ताई के चलते जितनी प्रासंगिक इस समय है उतनी ही प्रासंगिक अगले बीस, तीस, पचास वर्षों में भी रहेगी, यही इस कहानी की ताकत भी है और यही कथाकार के लेखन की भी ताकत है। डॉ स्वाति ने “तुम आओगे न” कहानी की भी सूक्ष्म पड़ताल की।
अगले वक्ता के रूप में सुभाष नीरव ने प्रेम गणित… संग्रह पर विस्तृत चर्चा करते हुए, “ताई” और “उलझने से सुलझने तक” कहानियों का विशेष जिक्र किया, उन्होंने ताई जैसी कालजयी और अलग तेवर की कहानी को इस संग्रह में रखने पर हैरानी जताते हुए “उलझने से सुलझने तक” को विशेष रूप से प्रभावित करने वाली कहानी कहा। उन्होंने कहा कि सन्दीप की ये कहानियाँ प्रेम के विभिन्न रूपों को व्याख्यायित करती हैं, उन्होंने प्रेम की परिभाषा के लिए पुस्तक के एक अंश का वाचन भी किया- “युग बदलते हैं लेकिन प्रेम की भावना नहीं बदलती। प्रेम में सिर्फ पात्र बदलते हैं भावना नहीं। भावना बड़ी प्रबल होती है। प्रेम पर काल का भी प्रभाव नहीं होता। हर युग में, सिर्फ पात्र बदले हैं केन्द्रीय भाव वही रहते हैं, समय या स्थान बदलने पर भी प्यार करने वाले की मन:स्थिति एक समान ही रही है, यह कभी नहीं बदली। कितने ही पात्र हैं जिनके प्यार की तड़प को आज भी महसूस किया जा सकता है, उनकी तपन को महसूस किया जा सकता है। प्रेम तो साश्वत है इसे न वक़्त ही बदल सकता न ही कोई मानव ही, यह प्रकृति-प्रदत्त है, यह सृष्टि का उपहार है।”
पुस्तक विमोचन पर अशोक गुप्ता ने वक्ताओं का धन्यवाद करते हुए पुस्तक के लेखक को बधाई दी।
कार्यक्रम का द्वितीय सत्र रचनाकारों के रचना पाठपर केन्द्रित था, उपस्थित रचनाकारों द्वारा विभिन्न विधाओं की रचनाएँ पढ़ी गयी। लघुकथा, कविता, गजल, दोहे, संस्मरण, मुक्तक, व्यंग्य का बढ़िया कोकटेल इस कार्यक्रम की विशेषता रही, इस सत्र का आगाज युवा कवयित्री और कहानीकार चंचल सिंह साक्षी की रचनाओं से हुआ, उन्होंने अपनी मर्मस्पर्शी कविता के साथ सत्र की शुरुआत की, और साथ ही लघुकथा का पाठ करके युवा कलम का परिचय दिया, अन्य रचनाकारों में जहाँ सीमा सिंह (कार्यक्रम आयोजक) : “मन का उजाला”, मनोज कर्ण: “अकेली माँ”, विनय विक्रम सिंह : तन और मन, निशा भास्कर, सतीश खनगवाल, रेनुका चितकारा ने अपनी-अपनी लघुकथाओं का पाठ किया, वहीं डॉ भावना शुक्ल ने अपने चिर-परिचित अंदाज में दोहे और मुक्तक सुनाकर वाहवाही लूटी, किरण चावला कपूर ने “पिता ठहर गए” शीर्षक कविता पाठ किया, डॉ सारिका शर्मा ने क्षणिका सुनाई तथा स्मिता श्रीवास्तव ने माँ की यादें शीर्षक रचना से भाव-विभोर कर दिया, सरिता शौकीन ने भी “मेरी माँ” शीर्षक कविता से सभी के मन को मोह लिया। सत्र के सबसे युवा कवि-शायर उज्जवल वशिष्ठ ने तरन्नुम में गज़ल पढ़कर ऐसा शमा बाँधा कि वह पूरी महफ़िल को लूट ले गए, उनकी रचना ने श्रोताओं को सन्देश दिया कि साहित्य का भविष्य बहुत उज्जवल है। वहीँ अंग्रेजी साहित्य की युवा कवयित्री सुश्री ऐश्वर्या सिंह ने अपनी रचना का पाठ किया। जानकी वाही ने माँ की मृत्यु पर संस्मरण सुनाकर सबकी आँखों के कोर गीले कराकर माँ को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि दी। सन्दीप तोमर ने अपनी प्रयोगात्मक लघुकथाओं को लघुकथा की क्षणिका नाम देकर प्रस्तुत किया।
समृद्ध मंच से डॉ. स्वाति चौधरी ने व्यंग्य पाठ किया वहीं किशोर श्रीवास्तव ने माँ पर रोचक और विचारणीय संस्मरण सुनाया तो सुभाष नीरव ने कविता और लघुकथा का वाचन किया।
कार्यक्रम के अंत में बलराम अग्रवाल ने सभी रचनाकारों के रचना-पाठ की भूरि-भूरि प्रशंसा की, साथ ही पिता पर अपनी कविता भी सुनाई। कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित रचनाकारों को हिन्दी लेखक संघ की ओर से प्रशस्ति-पत्र और मंचासीन विभूतियों को पुष्प-गुच्छ देकर सम्मानित किया गया। अंत में सीमा सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित करके कार्यक्रम का समापन करते हुए सभी आगंतुकों को भोजन कराकर विदा किया। सम्पूर्ण कार्यक्रम में मिस्टर सिंह साहब यानी योगेन्द्र सिंह रघुवंशी की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण रही, उनके सहयोग से ही सम्पूर्ण कार्यक्रम संपन्न हो सका।
प्रस्तुति-
सीमा सिंह


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